Saturday, February 18, 2012


पांच लाख तकआय पर टैक्स में छुट : अगले साल से
नई दिल्‍ली. आयकर छूट सीमा में बढ़ोतरी की आस लगाए बैठे करदाताओं को इस साल बजट में उम्मीद से कहीं बेहतर तोहफा मिल सकता है। यह भी हो सकता है कि आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाए। दरअसल, डायरेक्ट टैक्स कोड (डीटीसी) बिल की स्क्रूटनी कर रहे संसदीय पैनल के कुछ सदस्यों ने शुक्रवार को हुई बैठक में आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के लिए भारी दबाव डाला। इन सदस्यों का कहना है कि महंगाई के कहर और रुपये की घटती खरीद क्षमता को ध्यान में रखकर आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना करना ही उचित होगा।   उधर, वित्त पर गठित स्थायी संसदीय समिति ने डीटीसी बिल पर अपनी रिपोर्ट को आगामी 2 मार्च तक अंतिम रूप देने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को यहां वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता में इस पैनल की बैठक हुई। इस रिपोर्ट को पेश कर देने के साथ ही संसद द्वारा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से जुड़े महत्वाकांक्षी सुधारों पर विचार करने का रास्ता साफ हो जाएगा। डीटीसी विधेयक में आयकर के तीन स्लैब में भी संशोधन का प्रावधान है। फिलहाल १.८० से ५ लाख रुपए तक आय पर कर की दर १० प्रतिशत, ५ से ८ लाख रुपए पर २० प्रतिशत और ८ लाख से अधिक आय पर ३० प्रतिशत है। डीटीसी विधेयक में २ से ५ लाख रुपए तक की आय पर १० प्रतिशत, ५ से १० लाख रुपए की आय पर २० प्रतिशत और १० लाख से अधिक आय पर ३० प्रतिशत की दर से कर वसूलने का प्रस्ताव है।  वित्तीय मामलों की संसदीय समिति ने सरकार से यह सिफारिश भी की है कि ज़्यादा आय वाले लोगों पर निजी आयकर का बोझ बढ़ाया जाए और कम आमदनी के लोगों से लिए जाने वाले कर को घटाया जाए। आयकर विभाग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 30 करोड़ लोग अपना आयकर रिटर्न भरते हैं। इनमें से  1,85,000 लोगों की सालाना आय 20 लाख रुपये से ऊपर है। लेकिन यह छोटा समूह 53,170 करोड़ रुपये निजी आयकर के तौर पर चुकाता है। 0-10 लाख रुपये सालाना कमाने वाले लोग कुल आयकर चुकाने वाले लोगों का 92 फीसदी हैं। लेकिन यह समूह महज 21,094 करोड़ रुपये आयकर देता है जो 20 लाख रुपये सालाना से ज़्यादा कमाने वाले लोगों द्वारा चुकाए जाने वाले आयकर का 40 फीसदी भी नहीं है। वहीं, 10 लाख से 20 लाख रुपये सालाना कमाने वाले आयकर दाताओं की संख्या 3.35 लाख है। ये समूह आयकर के तौर पर 10,185 करोड़ रुपये चुका रहा है। इस असमानता ने ही वित्तीय मामलों की संसदीय समिति को कर के मौजूदा ढांचे को बदलने के लिए प्रेरित किया है। भारत में निजी आयकर चुकाने वाले कुल लोगों की संख्या 3 करोड़ है। इनमें 2.02 करोड़ लोग 0-2 लाख रुपये सालाना की आमदनी वाले हैं। इसके बाद 2-4 लाख रुपये सालाना कमाने वाले लोगों की तादाद 56.73 लाख है। इन दोनों को मिला दिया जाए तो करीब 72 फीसदी आयकर दाता 0 से 4 लाख रुपये सालाना आमदनी की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में स्लैब को 3 लाख कर देने से आयकर विभाग के संसाधनों का सही इस्तेमाल हो सकेगा और खर्चे में कमी आएगी। इससे कम आय वाले लोगों की बड़ी संख्या का हिसाब-किताब रखने से विभाग बच जाएगा। इसी तरह से कॉरपोरेट टैक्स चुकाने में भी ऐसी ही असमानता देखी जा रही है। 0-100 करोड़ रुपये आमदनी वाले कॉरपोरेट घराने 44016 करोड़ रुपये आयकर चुकाते हैं। वहीं, 100-500 करोड़ की आय वाले स्लैब में कॉरपोरेट हाउस 23, 421 करोड़ रुपये और 500 करोड़ से ऊपर सालाना आय वाले औद्योगिक घराने 54,558 करोड़ रुपये आयकर चुका रहे हैं।

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