'उम्र विवाद मामले में सेना प्रमुख जीत की राह पर'
सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के उम्र विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने शुक्रवार को 30 दिसंबर के अपने पुराने आदेश वापस ले लिया. सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे अपने पुराने आदेश को वापस लेना चाहती है. कोर्ट ने सरकार को यह इजाजत दे दी, इसके साथ ही जनरल वी.के. सिंह की उम्र विवाद में जीत हो गई.सरकार को कोर्ट में उम्र विवाद पर शुक्रवार को जवाब देना था. वी.के. सिंह ने मांग की थी कि सरकार के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 बताई गई है. जनरल का कहना है कि उनका जन्म 10 मई 1951 को हुआ था. शुक्रवार को जनरल वी.के. सिंह की जीत हुई. 3 फरवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार के सामने ढेरों सवाल रखे थे. कोर्ट ने 3 फरवरी को सरकार को फटकार लगाई थी, कोर्ट ने सरकार से दो टूक कहा था कि या तो जनरल की उम्र को लेकर जो आदेश दिए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए नहीं तो उसे रद्द किया जाएगा. 3 फरवरी की सुनवाई के बाद से ही माना जा रहा था कि सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करेगी. कोर्ट ने कहा था, न सिर्फ सरकार का फैसला सही होना चाहिए, बल्कि उस फैसले को लेने की प्रक्रिया भी सही होनी चाहिये. जब जनरल वी.के. सिंह ने अपनी उम्र दुरुस्त करने लिए दरख्वास्त दी तो जुलाई में अटॉर्नी जनरल की कानूनी सलाह पर उसे खारिज किया गया. जब जनरल सिंह ने इसके खिलाफ अपील की तो उस अपील को भी अटॉर्नी जनरल की राय पर ही खारिज कर दिया. ऐसा कैसे हो सकता है? ये पारदर्शता और सही प्रक्रिया के खिलाफ है और गलत है. सुप्रीम कोर्ट के अल्टीमेटम पर सरकार की कानूनी टीम ने सरकार से राय मशविरा करके अदालत को जवाब देने की बात कही थी. ये पहला मौका है जब देश के किसी सेनाध्यक्ष ने सरकार के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है. जनरल वी के सिंह ने मांग की है कि उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 ही मानी जाए और सरकार के उस आदेश को रद्द किया जाए, जिसके तहत जनरल वी.के. सिंह की जन्मतिथि 10 मई 1950 तय की गई. सेनाध्यक्ष के मुताबिक ये सरकारी फरमान पूरी तरह से मनमाना और गैरकानूनी है. जनरल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में करीब 600 पन्नों की अपनी याचिका में दस्तावेज़ों की लंबी फेहरिस्त सौंपी है. उनका कहना है कि 40 साल तक उन्होंने देश की सेवा की. उनके तमाम प्रमोशन और अवॉर्ड भी 10 मई, 1951 की जन्मतिथि के आधार पर ही दिये गए. जनरल सिंह का तर्क है कि उनकी मांग सिर्फ अपनी उम्र को लेकर सेना के ही दो धड़ों में अलग-अलग रिकॉर्ड दुरुस्त कराने की है.
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