'चिदंबरम की किस्मत पर आज होगा फैसला'
नई दिल्ली. 2जी घोटाले में पी. चिदंबरम के खिलाफ जांच पर थोड़ी देर बाद सुप्रीम कोर्ट फैसला सुना सकता है। पूर्व वित्त मंत्री के तौर पर इस मामले में चिदंबरम की भूमिका संदेह के घेरे में बताई जा रही है। जस्टिस एके गांगुली और जीएस सिंघवी की बेंच इस संबंध में सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रही है। यह बेंच सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की याचिका पर भी फैसला सुनाएगी। इसमें राजा के समय मंजूर किए गए 2जी के सभी 122 लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई है। इन दोनों याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल क्रमश: 10 अक्टूबर और 17 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। -राजा पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचना चाहते थे, चिदंबरम ने इजाजत दी। -अफसर चाहते थे कि ग्रोथ के आधार पर फीस तय हो। राजा ने मना किया। चिदंबरम ने भी राजा का ही साथ दिया। -राजा स्पेक्ट्रम की लिमिट बढ़ाकर अपनों को फायदा पहुंचाना चाहते थे। चिदंबरम ने कोई आपत्ति नहीं जताई। ए राजा ने सीबीआई कोर्ट में कहा था कि 2जी के लाइसेंस बांटने में चिदंबरम भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना मुझे बताया जा रहा है। राजा ने पूछा था कि चिदंबरम उस समय चुप क्यों रहे जब वित्त सचिव डी. सुब्बाराव ने आपत्ति दर्ज कराई कि राजा स्पेक्ट्रम की कीमत सही तरह से नहीं लगा रहे? प्रणब के मंत्रालय से 25 मार्च 2011 को पीएमओ को चिट्ठी भेजी गई थी। इसमें कहा गया था कि चिदंबरम चाहते तो घोटाला रोका जा सकता था। 30 जनवरी 08 को राजा के साथ मीटिंग में चिदंबरम ने पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की अनुमति दे दी। यह चिट्ठी स्वामी ने कोर्ट में बतौर सबूत पेश की है। सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की भूमिका की जांच की मंजूरी दी तो प्रधानमंत्री पर उनका इस्तीफा लेने का दबाव बढ़ जाएगा। चिदंबरम इस्तीफा देते हैं तो उत्साही विपक्ष के निशाने पर मनमोहन सिंह होंगे। क्योंकि उन्होंने न केवल चिदंबरम को क्लीन चिट दी थी, बल्कि उन पर प्रणब के मंत्रालय से पीएमओ भेजे गए पत्र की अनदेखी का भी आरोप है। इस पत्र को पीएमओ, कैबिनेट सचिवालय, वित्त, कानून, संचार मंत्रालय ने तैयार किया था। यानी पूरी सरकार घेरे में आ जाएगी।
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