'चिदंमबरम को राहत'
'स्वामी ने लिय हार्इकोर्ट जाने का फैसला'
नई दिल्ली. 2जी घोटाले में गृहमंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका को लेकर बना संशय खत्म हो गया है। दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में उन्हें आरोपी बनाने की मांग संबंधी जनता पार्टी प्रमुख सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मुद्दे का फैसला सुनवाई निचली अदालत पर छोड़ दिए जाने के बाद विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी ने यह फैसला सुनाया। हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई के मद्देनजर अदालत परिसर खचाखच भरा हुआ है। जज ओ पी सैनी ने मीडिया को कोर्ट रूम से बाहर जाने को कहा। केवल याचिकाकर्ता (सुब्रह्मण्यम स्वामी) और सरकारी वकील ही सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। इनके अलावा स्वामी की पत्नी, स्वामी के निजी सचिव और एक अन्य वकील कोर्ट रूम में मौजूद हैं। सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक चिदंबरम नॉर्थ ब्लॉक स्थित दफ्तर में नहीं बल्कि अपने घर पर हैं। चिदंबरम का आज मदुरै जाने का कार्यक्रम था लेकिन 2जी पर फैसला आने के बाद ही वह अपने गृह राज्य का दौरा करेंगे। शीर्ष कोर्ट के जज जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने अपने फैसले में निचली अदालत से कहा है कि वह उसके फैसले से प्रभावित नहीं हो। बेंच ने चिदंबरम के खिलाफ जांच का सीबीआई को निर्देश देने से भी इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राजा की आलोचना करते हुए 2जी के 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। हालांकि बेंच को प्रधानमंत्री और पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम की ओर से कोई गलती नहीं मिली। विशेष न्यायाधीश ने स्वामी की याचिका पर गत 21 जनवरी को फैसला 4 फरवरी तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। स्वामी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि चिदंबरम पूर्व संचार मंत्री राजा के समान ही मामले में दोषी हैं, क्योंकि स्पेक्ट्रम कीमतें तय करने और दूरसंचार कंपनियों को शेयर विदेशी कंपनियों को बेचने की अनुमति देने में उनकी भी भूमिका थी। लेकिन इस बीच, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने भी चिदंबरम पर निशाना साधा है। रविशंकर ने कहा कि चिदंबरम को एक साल पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिए, जब उनका नाम इस मामले के साथ जोड़ा गया था। आध्यात्मिक गुरु ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल में 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस रद्द पर खुशी जताई है और कहा है कि अदालत के इस फैसले से जनता का हौसला बढ़ा है।
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