नानावती आयोग के सामने पेशी से छूट : कोर्ट ने दी राहत
अहमदाबाद। गुजरात हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में राहत दी है। हाई कोर्ट ने मोदी को नानावती आयोग के सामने पेश होने से राहत दे दी है। कोर्ट ने आज पीड़ित पक्ष की ओर से जन संघर्ष मंच की याचिका पर फैसला देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी को कमिशन के सामने पेश होना चाहिए या नहीं इसका फैसला नानावती कमिशन को करना है। गौरतलब है कि नानावती कमिशन ने पहले ही मोदी की पेशी की अर्जी को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के फैसले पर प्रदेश बीजेपी के विजय रूपानी ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो हम इसके लिए तैयार थे। वहीं, जनसंघर्ष मंच के वकील मुकुल सिंन्हा ने कहा है कि कोर्ट ने हमारी मांग को नकार दिया। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि नानावती कमिशन के सामने दंगा मामले में मोदी को पेश होने का आदेश दिया जाए। उन्होंने कहा कि हम फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने 2004 में कमीशन ऑफ इन्क्वायरी के तहत एक नोटिस जारी कर आयोग के कार्यक्षेत्र का दायरा बढ़ाया था। इसके मुताबिक आयोग अगर चाहे तो मंत्रियों के अलावा मुख्यमंत्री को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकता है। दंगा पीड़ितों ने इसी नोटिफिकेशन को आधार बनाकर मोदी को आयोग के सामने पेश किए जाने की मांग की थी। मालूम हो कि नानावती आयोग के सामने मोदी की पेशी की मांग दंगा पीड़ित 2007 से कर रहे हैं। आयोग ने उनकी मांग को ये कहकर ठुकरा दिया था कि बाकी गवाहों से पूछताछ पूरी होने के बाद अगर जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री को भी समन भेजा जाएगा। इसके बाद दंगा पीड़ितों की इस मांग को गुजरात हाई कोर्ट ने भी ठुकरा दिया था। इसके बाद कोर्ट के फैसले को डिविजनल बेंच में चुनौती दी गई।
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