Wednesday, March 21, 2012

सरकारी स्कूलों के बच्चें देश के लिए खतरनाक श्री श्री'
नई दिल्ली धर्म व आध्यात्म की शिक्षा देने वाले और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविंकर का मानना है कि सरकारी स्कूलों में पने वाले बच्चें नक्सलीं बनते है इसलिए सरकार को चाहिए कि इन सारे सरकारी स्कूलों का बन्द कर दे। रविंशकर के इस बयान पर तमाम राजनीतिक व सामाजिक लोंगो ने उनकी कडी आलोचना की। केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने तो उन्हें पागल करार दिया वही भाजपा ने भी रविंकर के इस बयान की कडी आलोचना की। जयपुर में एक समारोह में शिरकत करने आए थे जहां श्री श्री रविंशकर ने कहा कि सरकारी स्कूलों में जो बच्चें प रहे है उनसे दो को खतरा करार दिया। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इन सरकारी स्कूलों को बन्द कर दें। उनके इस बयान से बबाल उठना लाजमीं था। यही वजह रही कि सारे राजनीतिक दलों से लेकर समाज के विभिन्न वर्गो के लोगो ने रविंकर के इस बयान की आलोचना की। जो किसी हद तक सही भी है। रविंकर भायद यह भूल गए कि दो में आधे से भी ज्यादा बच्चें सरकारी स्कूलों में पतें है और वही बच्चें आगे चलकर दो के महत्वपूर्ण पदों पर आशीन है। चाहे वो राजनीति में हो या फिर प्रानिक पदों पर। अगर सच्च में देखा जाए तो दो के निर्माण में ज्यादा योगदान सरकारी स्कूलों में प रहे बच्चों का ही होता है। सरकारी स्कूलों में पने वाले ब्रच्चें अपनी योग्यता के अनुसार दो की सेवा करते है। अगर कोई पने में होनहार है तो वह उच्च पद जाते है तो वही अगर बच्चा कम पा होता है तो वह अपनी योग्यता के अनुसार जाब करता है। पर वही दूसरी तरफ अच्छे व प्राइबेट स्कूलों में पने वाले बच्चें अगर अपनी पसन्द या अच्छी जॉब पाने में सफल नही होते तो वे सरकारी स्कूलों में पने वाले बच्चों की अपेक्षा ज्यादा गलत रास्ता पकडतें है। ऐ ही बच्चें दो के लिए खतरनाक होते है। शायद यह बात रविंशकर के समझ में नही आ रही है तभी तो वो सरकारी स्कूलों में पढने वाले बच्चों को दो के लिए खतरा मान रहें है। उच्च पदों पर नियुक्ति पातें है। लेकिन यह बात शायद श्री श्री के समझ में नही आई ।

No comments:

Post a Comment