उत्तराखंण्ड मे राजनीतिक संकट जारी
नई दिल्ली. उत्तराखंड में जारी राजनीतिक संकट का हल नहीं निकला। नाराज केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने कहा कि उन्हें गतिरोध समाप्त करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई ‘ठोस प्रस्ताव’ नहीं मिला है। विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के करीब एक सप्ताह बाद रावत ने कहा कि वह और उनके समर्थक किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं और उनका इरादा सरकार को अस्थिर करने का नहीं है। इस बीच, मामले को सुलझाने के मकसद से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बहुगुणा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श कि या। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में पार्टी में उत्तराखंड के प्रभारी महासचिव चौधरी वीरेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल भी थे।गौरतलब है कि 70 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 32 विधायक हैं और उसे बहुमत के लिए सात गैर भाजपा विधायकों का समर्थन हासिल है। रावत के साथ निष्ठा रखने वाले 14 विधायकों को अभी शपथ लेनी है, इसलिए सरकार गठन में बाधा आ रही है। बहुगुणा ने मुख्यमंत्री के तौर पर गत मंगलवार को शपथ ली थी। रावत ने कहा, ‘मैंने अपने समर्थकों की कई बैठकों में कहा कि मुख्यमंत्री पद खाली नहीं है। मैंने यह शुरू से ही स्पष्ट किया है कि जो समस्या सामने आई है उसका हल पार्टी के भीतर ही होगा।’ उन्होंने हालांकि कहा कि यह कहना ‘सही नहीं है’ कि उन्हें पार्टी के भीतर समर्थन हासिल नहीं है। रावत ने अपने समर्थकों की आकांक्षाओं के बारे में कहा कि लोकतंत्र में बातचीत हमेशा होती है, लेकिन ‘महत्वाकांक्षा और वास्तविकताओं’ में अंतर है।उधर, बहुगुणा ने पत्रकारों से कहा, ‘रावत और हम निर्णय नहीं कर सकते। हमारे सुझावों पर सोनिया गांधी की मुहर होनी चाहिए। हरीश रावत मेरे सम्मानित सहयोगी हैं। उनके अपने विचार हो सकते हैं लेकिन मूल रूप से वे कांग्रेसी हैं।’
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