रक्षा मंत्री ने माना पूर्व आर्मी चीफ ने की थी रिश्फत की पेशकश
नई दिल्ली. रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भी माना है कि ले. जन. के पद से रिटायर होने वाले तेजिंदर सिंह ने आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह के सामने घूस की पेशकश की थी। एंटनी ने कहा, ‘करीब साल भर पहले जनरल वीके सिंह ने बताया कि तेजिंदर सिंह ने उन्हें रिश्वत की पेशकश की है। मैं भी इसे सुनकर आश्चर्यचकित रह गया। मैंने उन्हें इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि तेजिंदर के खिलाफ कार्रवाई हो। मुझे अभी तक आर्मी चीफ की तरफ से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली।’ रिश्वत की पेशकश के आर्मी चीफ के दावे पर राज्यसभा में आज बयान देते हुए एंटनी ने कहा कि 'मैं सेना के आधुनिकीकरण के पक्ष में हूं लेकिन भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भ्रष्टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा। यदि मैं गलत हूं तो मुझे दंड दिया जाए लेकिन मैंने अपना कर्तव्य सही तरीके से निभाया है। अब मामले की जांच सीबीआई करेगी।' हालांकि विपक्ष एंटनी के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा। बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि सरकार को ‘प्रो एक्टिव’ कदम उठाने चाहिए थे और इस तरह के हालात से बचना चाहिए था। सदन से बाहर निकलते ही पत्रकारों ने एंटनी को घेर लिया और सवालों की बौछार कर दी। हालांकि रक्षा मंत्री ज्यादा कुछ नहीं बोले और कहा कि उन्होंने सदन में सबकुछ कह दिया है। रक्षा मंत्री ने भले ही सबकुछ कह दिया लेकिन एंटनी के बयान के बाद अब आर्मी चीफ को कई मुश्किल सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं। इस बीच, एंटनी द्वारा संसद में अपना नाम लिए जाने के बाद तेंजिंदर ने जनरल सिंह पर निशाना साधा। उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि उनके खिलाफ आरोप लगाने वालों को सबूत पेश करना चाहिए। तेंजिदर ने माना कि वह अगस्त 2010 में जनरल वी के सिंह से आखिरी बार मिले थे। लेकिन यह मीटिंग ‘रीइम्प्लॉयमेंट’ के मसले पर थी। जनरल सिंह ने रीइम्प्लॉयमेंट के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी। ले. जन. (रिटायर्ड) तेजिंदर सिंह ने किसी कंपनी के लिए बिचौलिये का काम करने से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘मैंने जनरल सिंह के सामने रिश्वत लेने के लिए पेशकश नहीं की। मैंने कभी किसी को घूस लेने के लिए नहीं कहा। मैंने टैट्रा या हथियार बनाने वाली किसी भी कंपनी के लिए काम नहीं किया है। किसी कंपनी के लिए काम करने का सवाल ही नहीं उठता है। इतनी बड़ी (14 करोड़ रुपये की) पेशकश करने के लिए जनरल के साथ दोस्ताना रिश्ते होने चाहिए। मैं जनरल का दोस्त नहीं हूं। मेरे उनके साथ प्रोफेशनल रिश्ते रहे हैं। मैंने जनरल सिंह के खिलाफ मानहानि का केस चलाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है।’‘मुद्दा करप्शन का है तो रक्षा मंत्री को खुद ही कार्रवाई करनी चाहिए थी। उन्हें आर्मी चीफ को फोन कर कहना चाहिए था कि इस बारे में आप लिखकर दीजिए।’ एंटनी के आज के बयान से कई सवाल उठते हैं। पहला सवाल यह कि आखिर जनरल सिंह घूस की पेशकश करने वाले अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहते थे? इसके अलावा यदि रक्षा मंत्री को इस मामले की जानकारी (भले ही मौखिक) मिली, तो उन्होंने अपने स्तर पर (स्वत: संज्ञान लेते हुए) कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। इतनी गंभीर बात रक्षा मंत्री की जानकारी में आने के बाद भी तेजिंदर सिंह ने बतौर अफसर नौकरी की और सेवा शर्तों के मुताबिक ही रिटायर हुए, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई या फिर इस तरह के मामलों की जांच नहीं की गई? जनरल वी के सिंह डेढ़ साल तक चुप क्यों बैठे रहे? मंत्री के कहने पर लिखित शिकायत क्यों नहीं की?
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