'बिलावल ने लताडा भारत- पाक को'
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के बेटे और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपनी पहली भारत यात्रा से जुड़े अपने अनुभवों का इजहार किया है। बिलावल ने ट्वीट के जरिये भारत और पाकिस्तान के हुक्मरानों की आलोचना की है। 23 साल के बिलावल ने ट्वीट किया, ‘दोनों देशों के लिए यह बेहद शर्म की बात है जहां अधिकतर आबादी गरीबी में जी रही है वहां की सरकारें हथियारों पर लाखों-करोड़ों खर्च कर रही हैं।'दोनों देशों के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे के बारे में बिलावल ने कहा कि ये हथियार इतने हैं कि दोनों देश एक दूसरे को कई बार तबाह कर सकते हैं। उन्होंने दोनों देशों को नसीहत दी कि वो हथियारों पर खर्च करने के बजाय शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार पर खर्च करें ताकि दोनों देशों के बीच कारोबार बढ़े, एक दूसरे को शिक्षा दे सकें और एक दूसरे के जख्मों पर मरहम लगा सकें। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान की सेना आज भी भारत को सबसे बड़ा दुश्मन मानती है। इंडिपेंडेंट सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज, इस्लामाबाद के इग्जेक्युटिव डायरेक्टर इम्तियाज गुल के मुताबिक, 'पाकिस्तान हमेशा से मान कर चल रहा है कि अफगानिस्तान को भारत उसके खिलाफ इस्तेमाल करेगा।' भारत बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सहयोग दे रहा है। यह पाकिस्तानी हुक्मरान को खटकता रहा है।'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक गुल कहते हैं कि 80 के दशक से ही पाकिस्तान अफगान गुरिल्ला समूहों का समर्थन करता आ रहा है और इस वजह से करजई सहित अफगानिस्तान के तमाम बड़े नेताओं पर तालिबान के हक्कानी नेटवर्क से जुड़े आतंकी हमले करते रहे हैं। इसका मकसद अफगानिस्तान और भारत को नजदीक आने से रोकना और पश्चिमी पाकिस्तान में पश्तूनों के इलाके पर अफगानिस्तान की संप्रभुता के दावे को फिर से मजबूत करना है। गृह मंत्री रहमान मलिक समेत पाकिस्तान के तमाम अधिकारी वर्षों से कहते आ रहे हैं कि भारत अफगानिस्तान सीमा के समीप बलूच और पश्तून गुरिल्ला गुटों की ओर से आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भड़काने का काम करता है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने हाल में एक इंटरव्यू में इतना तक कहा था कि उनके पास यह साबित करने के लिए सबूत हैं। लेकिन सार्वजनिक तौर पर इससे ज्यादा नहीं कह सकते। लेकिन गुल और अन्य स्वतंत्र जानकारों का मानना है कि भारत पर लगाए जाने वाले आरोपों के समर्थन में पाकिस्तान के पास कोई ‘ठोस सबूत’ नहीं है। काबुल में पाकिस्तान के राजदूत रहे रुस्तम शाह मोहमंद कहते हैं, ‘हम ऐसा इसलिए कहते हैं कि हमारी पॉलिसी भारत पर केंद्रित है। लेकिन इसे साबित करते के लिए हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं है।’भारत अफगानिस्तान में सड़क, बिजली, स्कूल और वहां की संसद पर बीते एक दशक में 1.5 अरब डॉलर खर्च कर चुका है। अब भारत वहां लौह अयस्क, स्टील मिल और रेलवे बनाने के लिए 11 अरब डॉलर खर्च करने जा रहा है जो अफगानिस्तान के लिए सबसे बड़ा विदेशी निवेश हो सकता है।
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