'चीन की धमकी अग्नि 5 पर न इतराए भारत हमारी ताकत का रखें ध्यान'
नई दिल्ली. देश की पहली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 का परीक्षण सफल रहा है। 5000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम इस मिसाइल को गुरुवार सुबह आठ बजकर पांच मिनट पर ओडिशा में बालासोर के निकट समुद्र में व्हीलर द्वीप से प्रक्षेपित किया गया। अग्नि-5 का पहला सफल परीक्षण डीआरडीओ के लिए बड़ी सफलता है। पीएम मनमोहन सिंह और रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने परीक्षण कामयाब रहने पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। लेकिन चीन ने भारत की इस कामयाबी को कमतर कर आंका है और एक तरह से चुनौती देते हुए कहा है कि मिसाइल की ताकत में भारत अब भी बहुत पीछे है। 'ग्लोबल टाइम्स' अखबार में कहा गया है कि अग्नि-5 के प्रक्षेपण से भारत को हथियारों की होड़ को बढ़ावा देने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। अखबार के मुताबिक भारत 5000 किलोमीटर तक मार करने वाली इस मिसाइल के परीक्षण के साथ आईसीबीएम क्लब में शामिल होने की उम्मीद करता है जबकि इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइल की सामान्य रेंज 8000 किलोमीटर से अधिक होती है। रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ चीफ वी के सारस्वत ने मिसाइल तकनीक से लैस इस मिसाइल के पहले परीक्षण के कामयाब होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि इस परीक्षण के सफल होने के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास आईसीबीएम हैं। फिलहाल अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन के पास आईसीबीएम हैं यानी अब तक ये देश ही लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल बना सकते थे, पर अब भारत भी बना सकेगा। डॉ. सारस्वत ने कहा, 'हमने कर दिखाया। सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ। परीक्षण सुपरहिट रहा। भारत अब मिसाइल पॉवर बन गया है। हमें इस पर गर्व है। डीआरडीओ के सभी सदस्यों को बहुत-बहुत बधाइयां।' अग्नि-5 मिसाइल कार्यक्रम के मिशन डायरेक्टर डॉ. अविनाश चंद्रा ने कहा कि प्रक्षेपण उम्मीद के मुताबिक हुआ। जटिल माने जाने वाले दूसरे और तीसरे चरण में भी मिसाइल के सारे उपकरण सही तरीके से काम करते रहे। हम जो चाहते थे, उसे हासिल कर लिया गया है। अगले तीन चार परीक्षण के बाद इस मिसाइल को सेना में शामिल कर लिया जाएगा। भारत द्वारा परीक्षण से नाटो को कोई खतरा नहीं लगता है। नाटो के सेक्रेट्री जनरल एंडर्स फो रासमुसेन ने ब्रसेल्स स्थित नाटो मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने कहा कि नाटो नहीं मानता कि भारत नाटो के सहयोगी देशों के लिए किसी तरह का पैदा करेगा। लेकिन चीन इस प्रक्षेपण पर तेवर दिखा रहा है। यही नहीं, अमेरिकी मीडिया भी इसे पाकिस्तान और चीन को जवाब के तौर पर देख रहा है। प्रक्षेपण से पहले बुधवार को इस मुद्दे को रिपोर्ट किया है। उधर, अमेरिका ने अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती क्षमताओं पर चिंता जताई है। अमेरिकी विदेश और रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन नई और कई तरह की “आक्रामक” मिसाइलें तैयार कर रहा है, अपने मिसाइल तंत्र को उन्नत बना रहा है और अमरीका व उसके सहयोगियों के उपग्रह रोधी (एसैट) हथियारों समेत बैलेस्टिक मिसाइल प्रतिरोध की काट के लिए अंतरिक्ष-आधारित तरीके विकसित कर रहा है। रिपोर्ट कहती है कि चीन की मिसाइलें हवा से हवा में और जमीन से हवा में बखूबी मार कर सकती हैं. इसके अलावा विदेशी और स्वदेशी सिस्टमों के जरिए चीन के पास साझा उपग्रह संचार बैंड्स और ग्लोबल पॉजिशनिंग सैटलाइट्स (जीपीएस) रिसीवर को “जाम” करने की क्षमता है। रिपोर्ट में कहा गया है, “चीन कीआधुनिक सेना और विशेष तौर पर उसकी अंतरिक्ष संबंधी क्षमताओं का इस्तेमाल चीन के राजनयिक फायदे, और संभवतः अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के खिलाफ किया जा सकता है।”
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