'रेलवे कर्मचारियों के लिए बुरी खब़र'
नई दिल्ली. रेलवे के 14 लाख कर्मचारियों की तनख्वाह में कटौती की आशंका है। इस बारे में की गई सिफारिश मंजूर हुई तो जल्द ही रेलवे कर्मियों को घटा हुआ वेतन मिलने लगेगा। इस साल 11 और 12 जनवरी को नई दिल्ली में रेलवे के महाप्रबंधकों की बैठक में तनख्वाह में कटौती की सिफारिश की गई थी। सिफारिश के मुताबिक, 'खर्च की सीमा के बारे में रेलवे को जानकारी दी गई है और बताया गया है कि 4304 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। जिस मद में बचत की जा सकती है वह है कर्मचारियों पर होने वाला खर्च (वेतन: 1,300 करोड़, डीए: 855 करोड़ )।' जानकार मानते हैं कि अगर इस बार रेल बजट पेश करने वाले पूर्व रेल मंत्री ने रेलवे की असली हालत बयां करते तो शायद उनकी कुर्सी बच जाती।गौरतलब है कि रेल यात्री किराया बढ़ाने की वजह से दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। दिलचस्प बात है कि अगर त्रिवेदी की कोशिशें सफल हुई होतीं तो रेलवे को इस वित्त वर्ष में ही 3500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती और इससे कर्मचारियों की तनख्वाह घटाकर खर्च कम करने जैसे कड़े फैसले पर विचार करने की रेलवे को जरूरत ही न पड़ती। रेलवे के महाप्रबंधकों ने अनुमान लगाया है कि कर्मचारियों की कुल तनख्वाह में 5 फीसदी की कटौती से 2155 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं। इस बारे में डीएनए ने रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना के पास सवालों की सूची भेजी, लेकिन उनका जवाब नहीं आया। सिफारिशी रिपोर्ट में खर्च घटाने के लिए स्टोर, ईंधन और कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाने वाले कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में कटौती जैसे उपाय सुझाए गए हैं। रेलवे के महाप्रबंधकों के स्तर पर वेतन में कटौती की बात पर औपचारिक तौर पर जनवरी में चर्चा हुई, लेकिन रेलवे कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि ऐसी कोशिशें पहले से ही रही हैं। ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर में नाइट ड्यूटी अलाउंस को रोकने की कोशिश की गई थी। लेकिन जब कर्मचारियों ने इसके विरोध में चार घंटे तक हड़ताल की तो इस फैसले को वापस ले लिया गया।
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