दो बच्चों का लालन-पालन अकेले करने वाली एक मां गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पहली इलेक्ट्रिक रिक्शा चालक बन गई। केंद्रीय नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा मंत्री फारूक अब्दुल्ला से यहां कार्बन मुक्त तिपहिया वाहन हासिल करने वाली 33 साल की कोहिनूर ने कहा कि मुझे इससे अधिक खुशी कभी नहीं हुई।
कोहिनूर एक स्कूल में नौकरानी के तौर पर काम कर रही थी, जहां से उसे 5,000 रुपये मिलते थे। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि अब मैं इससे दोगुना कमा पाऊंगी। इस वक्त मालवीय नगर मेट्रो स्टेशन और साकेत में सेलेक्ट सिटी वाक मॉल के बीच 12 ई-रिक्शा चलते हैं, जिनके सभी चालक पुरुष हैं। केवल कोहिनूर ही एकमात्र महिला चालक हैं।
इस अवसर पर अब्दुल्ला ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही कीमत को देखते हुए इसकी बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कोहिनूर की तरह और भी बहुत सी महिला ई-रिक्शा चलाना सीखेंगी, जिससे उन्हें घर का खर्च चलाने और अपने बच्चों को शिक्षा देने में मदद मिलेगी। कोहिनूर ने कहा कि इसे चलाना आसान है। मैं यह सिर्फ दो दिन में ही सीख गई।
वह जामिया एक्सटेंशन और जामिया मिलिया इस्लामिया के बीच तीन किलोमीटर ई-रिक्शा चलाएगी। इसके लिए वह प्रति यात्री किराया 10 रुपये लेगी। रिक्शा दो यात्रियों को बैठा सकता है और इसकी गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। चालक को इसके लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि इसकी रफ्तार 25 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होगी। गौरतलब है कि कोहिनूर व अन्य महिलाओं को 'उम्मीद की रिक्शा' योजना के तहत ये ई-रिक्शा दिए गए।
No comments:
Post a Comment