केंद्र सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत रिटेल सेक्टर में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा एविएशन सेक्टर में भी 49 फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी दी गई है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सीसीईए की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। कैबिनेट के इस फैसले के बाद विदेशी कंपनियां भारत के मल्टी ब्रैंड रीटेल में 51 फीसदी की हिस्सेदारी कर सकेंगी।आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने शुक्रवार को कुछ शर्तों के साथ मल्टी ब्रैंड रीटेल में एफडीआई को मंजूरी दे दी। सरकार ने कहा है कि यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वे अपने यहां इसे लागू करते हैं या नहीं। सरकार ने एविएशन सेक्टर में भी 49 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी है। शुक्रवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने मल्टी ब्रैंड रीटेल सेक्टर में एफडीआई को मंजूरी देने का ऐलान किया। सरकार ने सिंगल ब्रैंड रीटेल में 100 फीसदी एफडीआई को भी हरी झंडी दे दी है। कमिटी ने केबल और डीटीएच सेक्टर में भी एफडीआई बढ़ाने पर सहमति दे दी है। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस फैसले से रीटेल सेक्टर का चेहरा बदल जाएगा और इससे महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा। याद होगा, सरकार ने पिछले साल मल्टी ब्रैंड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी थी, लेकिन सहयोगी दलों, विपक्षी पार्टियों और रिटेल कारोबारियों के विरोध के बाद इसे टाल दिया था। डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी करने के बाद अब सरकार ने मल्टी ब्रैंड रीटेल में एफडीआई का रास्ता साफ कर दिया है। सबसे अहम बात यह है कि सरकार के इस फैसले को संसद से पास कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूपीए के सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। इसी बीच प्रधानमंत्री ने कहा है कि सुधारों का वक्त आ गया है और अब उनके सामने करो या मरो की स्थिति है।
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