नई दिल्ली। मानसून सत्र का आज आखिरी दिन था लेकिन लोकसभा और राज्यसभा आज भी नहीं चल सकीं। हो हल्ले के चलते इस मानसून सत्र में सिर्फ 25 फीसदी ही काम हो सका। दोनों सदनों को बार-बार स्थगित करना पड़ा। सत्र के आखिरी दिन पक्ष और विपक्ष दोनों सदन न चलने देने के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने सत्र के अंतिम दिन कहा कि अभी तक हमने कोल आवंटन के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित की थी। लेकिन शुकवार को गांधी प्रतिमा के सामने हमने यह संकल्प लिया है कि हमारा यह आंदोलन संसद से सड़क की ओर जाएगा। दूसरी ओर जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा कि कुछ बयान आए हैं कि विशेष सत्र बुलाया जाए। मैं इसका विरोध करता हूं। पहले कोयला घोटाला मामले का समाधान निकले उसके बाद ही कुछ हो सकता है।
दूसरी ओर संसदीय कार्य राज्य मंत्री पवन बंसल ने संसद के विशेष सत्र पर कहा कि अभी कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं है। अगर सब यह वादा करें कि बहुत से बिल पेंडिंग पड़े हैं, जिनको पास करना ज़रूरी हैं और अब हम शोर नहीं करेंगे तब विशेष सत्र के बारे में सोचा जा सकता है।
अगर आंकड़ो पर गौर करें तो संसद की एक दिन की कार्यवाही पर एक करोड़ सात लाख का खर्चा आता है। जिसमें छत्तीस हजार हर मिनट, इक्कीस लाख हर घंटा और एक करोड़ सात लाख का खर्चा तब आता है जब संसद में पूरे दिन काम नहीं होता है। इस बार का मानसून सत्र आठ अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर तक था। पूरे सत्र में 75 फीसदी काम नहीं हुआ। सरकार की मानसूत्र सत्र में कोशिश थी कि इस सत्र में 15 नए बिल आए लेकिन इस सत्र में सिर्फ 4 बिल ही पेश हो पाए जबकि 100 से बिल पेंडिग पड़े हुए हैं।
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