Monday, October 8, 2012

महात्मा गांधी की तस्वीरो को हटाया जाय : राजगोपाल


Jansatyagraha: silent march by 50000 landless people enters 6th dayजंगल, जमीन पर अधिकार पाने के लिए दिल्ली की ओर बढ़ रहे जन सत्याग्रह कर रहे लोगों और सरकार के बीच सोमवार को दिल्ली में समझौता वार्ता होगी। इसके लिए सत्याग्रहियों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल सोमवार सुबह दिल्ली रवाना होगा, जहां शाम चार बजे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश, राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य के राजू, योजना आयोग के सदस्य मिहिर शाह के साथ बातचीत होगी। उन्होंने कांग्रेस के दफ्तरों से महात्मा गांधी की तस्वीरों को हटाने की भी मांग की है।एक निजी बातचीत में पीवी राजगोपाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग अपने दफ्तरों में महात्मा गांधी की तस्वीर लगाकर तथा उनके नीचे बैठकर न केवल घूस लेते हैं, बल्कि वंचितों के शोषण की योजना बनाते हैं। गांधी के विचारों पर चलने की बात कहकर अमेरिका के पूंजीवाद तथा चीन के माओवाद को देश में प्रवेश करने दे रहे हैं, वहीं गांधीवाद को देश से विदा कर रहे हैं। इसलिए कांग्रेस के कार्यालयों से गांधीजी की तस्वीर हटाई जानी चाहिए।राजगोपाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने भूमि सुधार कानून को लेकर पहले हमसे जो वादा किया था, उससे वह पलट गई है। जब तक सरकार से हमारा निश्चित समय के लिए लिखित अनुबंध नहीं होता, तब तक सत्याग्रह जारी रहेगा।एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने राजस्थान के धौलपुर जिले के मनियां से चार किलोमीटर आगे एबी रोड पर जनसत्याग्रह के पांचवें पड़ाव के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब तक प्रतिनिधिमंडल से लिखित अनुबंध नहीं करेगी, तब तक सत्याग्रह जारी रहेगा। राजगोपाल ने बताया कि पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मुख्य सचिव शरदचंद बेहार, सुप्रीम कोर्ट के वकील विदेह उपाध्याय, जेएनयू के प्रोफेसर प्रवीन झा, एकता परिषद के रमेश शर्मा एवं अनीश कुमार शामिल हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया को ग्वालियर में आंदोलनकारियों से बात करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन वहां बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकला। एकता परिषद ने भूमिहीन गरीबों को कृषि भूमि दिए जाने के साथ भूमि सुधार संबंधी सभी लंबित मांगों को लेकर दिल्ली कूच किया है। 50 हजार सत्याग्रहियों का नेतृत्व कर रहे राजगोपाल ने कहा कि यह आंदोलन अन्ना के आंदोलन से अलग है। यह पिछले 30 वर्षो में धीरे-धीरे जमीन से उभर कर ऊपर आया है। यह देश के 40 प्रतिशत वंचित समाज-आदिवासी, मछुवारे, घुमंतू व दलित समाज का संघर्ष है।

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