Wednesday, May 9, 2012


'यूपी में महिलाओ पर कब थमेंगे अत्याचार'
देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश इन दिनों अपराध प्रदेश बनता जा रहा है। लंबे-चौड़े वादे कर राज्य की सत्ता में आने वाली समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद से तो जैसे अपराधों की बाढ़ सी आ गई है। खास कर महिलाओं के साथ तो हाल के दिनों में जिस तरह गैंगरेप, उत्पीड़न और उन्हें जला देने की एक के बाद एक घटनाएं प्रति दिन सामने आ रही हैं, उससे प्रदेश की जनता काफी आशंकित हो गई है। यूपी की जनता का राज्य के युवा सीएम से सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिर कब थमेगा ये सब? 
मंगलवार को परीक्षा देकर स्कूल से लौट रही कक्षा चार की छात्रा को अगवा कर बाइक सवार वहशियों ने दुष्कर्म किया और आजमगढ़ के नेवादा-अमिलो मार्ग पर बनहुआ पुल के पास फेंक दिया। बेहोशी की हालत में ग्रामीणों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। पीड़िता के बयान पर दो के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पिछले दिनों इसी क्षेत्र में जौनपुर की बालिका को गैंगरेप कर फेंका गया था। 

मुबारकपुर से सटे अमिलो ग्राम पंचायत के नेवादा पुरवे की रहने वाली 11 वर्षीया बालिका नगर के ही प्राथमिक विद्यालय में पढ़ती है। मंगलवार को लगभग 12 बजे वह विद्यालय से घर लौट रही थी। इस बीच विद्यालय से निकलते ही बाइक सवार दो युवक धमक पड़े। पीड़िता के अनुसार उन दोनों ने उसे घर छोड़ने के बहाने बाइक पर बिठा लिया। इसके बाद वे उसे लेकर अमिलो गांव पहुंचे। वहां कमरे में बंद कर दिया। दुष्कर्म के बाद नेवादा गांव से पहले ही बनहुआ पुल के पास वे उसे छोड़ कर चले गए। बाद में पुलिस ने उसे जिला महिला अस्पताल भर्ती करा दिया। थानाध्यक्ष मुबारकपुर रितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दुष्कर्म की शिकार छात्रा के परिजनों की तहरीर पर दोनों युवकों के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। आरोपियों की तलाश जारी है।असरेपुर बढ़ौली गांव में आए परिचित युवक ने अपने दोस्तों संग 15 साल की एक लड़की को गाड़ी में खींचकर अगवा कर लिया। नशे में धुत युवकों ने लड़की से तीन रोज तक रेप किया। फिर उसे सड़क पर फेंक दिया। असरेपुर बढ़ौली गांव के दलित व्यक्ति ने पुलिस को अर्जी देकर बताया कि तीन मई को उसके पड़ोसी की बेटी का ब्याह था। बनी गांव में रहने वाले उसके साढ़ू का परिचित नीरज भी तीन दोस्तों संग आया था। रात में नीरज ने उसकी 15 वर्षीय बेटी से पानी मांगा। वह बाहर निकली तो नीरज ने दोस्तों की मदद से मुंह दबाकर उसे कार में खींच लिया। उसे तीसरे रोज पांच मई को सैदाबाद-असढ़िया मार्ग पर बेहोशी की हालत में फेंका गया। फिर नीरज ने उसे फोन से बताया कि उसकी बेटी सड़क पर पड़ी है। वह बेटी को उठाकर अस्पताल ले गया। होश में आने पर लड़की ने नीरज और उसके दोस्तों के सामूहिक बलात्कार के बारे में बताया। यूपी में इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। प्रतिदिन किसी ना किसी जिले से ऐसी खबरें आती हैं और पुलिस मामले दर्ज कर इतिश्री कर लेती है। कई जगहों पर तो पुलिस इस तरह के मामले दर्ज ही नहीं करती है। 

Tuesday, May 8, 2012


'पयलटो की हडताल से विदेशी उडानें हुई रद्द'
एयर इंडिया फिर मुश्किल में फंसती नजर आ रही है। ड्रीमलाइनर विमानों की ट्रेनिंग को लेकर उठे विवाद के चलते पायलटों का एक समूह हड़ताल पर चला गया है। इससे एयर इंडिया की चार विदेशी उड़ानें रद्द की गई हैं। साथ ही अन्य उड़ानों पर भी असर पड़ा है।
रद्द की गई उड़ानों में दिल्ली से शिकागो, मुंबई से न्यू जर्सी, दिल्ली से टोरंटो और दिल्ली से हांगकांग की उड़ानें शामिल हैं। इसके अलावा 80 से ज्यादा उड़ानों पर भी हड़ताल का असर पड़ने की आशंका है। ड्रीमलाइनर विमानों के ट्रेनिंग विवाद पर कंपनी प्रबंधन के साथ बातचीत असफल रहने के बाद पायलटों ने सोमवार रात से ही हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी।
एयर इंडिया के अभी तक करीब 100 पायलट हड़ताल पर जा चुके हैं। पायलट एसोसिएशन के मुताबिक अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो हड़ताल पर जाने वाले पायलटों की संख्या 300 तक पहुंच सकती है।

Monday, May 7, 2012


'महिलाओ के लिए यूपी नही रहा सुरक्षित'
देश के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य यूपी में हाल के दिनों में महिलाओं के साथ गैंगरेप, उत्पीड़न और उन्हें जला देने की एक के बाद एक सामने आ रही घटनाओं से पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। यूपी में महिलाओं और लड़कियों की घर से बाहर सुरक्षा को लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। मायावती का राज खत्म होने और सपा की सरकार आने के बाद यूपी की आधी आबादी को आस बढ़ी कि अब औरतों से ज्यादती कम होगी। लेकिन हालात नहीं बदले, हां दर‌िंदगी का चेहरा जरूर बदल गया। माया राज में युवतियों और छोटी बच्चियों के साथ रेप और हैवानियत की घटनाएं तो आम थी। खुद सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग ने भी यूपी में रेप की घटनाओं पर संज्ञान लिया था। मायावती ने हालांकि दुष्कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला।पिछली आंकड़ों पर नजर डाले तो 2008 में जहां दुष्कर्म के 1696 मामले सामने आए वहीं 2009 में इनकी संख्या 1552 रही। साल 2010 में महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म के 1290 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के साथ दुष्कर्म और हत्या के सामने आ रहे मामलों के लिए जहां समाज के बुद्धिजीवी, समाजसेवी व अन्य लोग पुलिस की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस के लोग इसे एक सामाजिक समस्या बताते हैं। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 में पूरे देश में महिलाओं के साथ हुए अपराध के कुल 2 लाख 13 हजार 585 मामले दर्ज हुए। इनमें से अकेले 21,450 मामले उत्तर प्रदेश के हैं। लड़कियों और युवतियों के अपहरण के मामले में यूपी 18.4 फीसदी के साथ सबसे आगे है। रुहेलखण्ड व पश्चिमी यूपी से लेकर बुंदलेखण्ड, अवध व पूर्वाचल तक प्रदेश का कोई कोना महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है।  अलीगढ़ जिले में पिछले तीन साल में यौन शोषण, छेड़छाड़, अपहरण और उत्पीड़न के मामले लगभग दोगुने हो गए। गांव-कस्बों में हालात और भी बदतर हैं। अधिकांश मामले लोकलाज के चलते सामने ही नहीं आ पाते। आगरा जनपद के खंदौली की मुस्कान, तराना और माना का चेहरा आज भी घरवालों की आंखों के सामने घूमता है। इन तीनों मासूमों की दुराचार के बाद हत्या कर दी गई थी। इनकी जैसी कई और मासूम भी वहशियों का शिकार बनीं। महिलाओं ने मोर्चा खोला, विरोध हुआ। आरोपियों को पकड़ने की मांग हुई। लेकिन आज भी मामला जस का तस।
मेरठ में भी महिलाओं के साथ अपराध का ग्राफ दिन पर दिन चढ़ रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यहां अपहरण व छेड़छाड़ के मामलों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा दोगुनी हो गई है। जिले के शहरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि गांवों और कस्बों में भी तीन साल में ये घटनाएं बढ़ी हैं। बरेली शहर के दस थानों में 2011 में छेड़छाड़ के 21 व अपहरण के 40 से अधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे ही देहात के 19 थानों में छेड़छाड़ के 30 मामले दर्ज किए गए। इलाहाबाद जिले में तीन साल के अंदर ही छेड़खानी की वारदात पांच गुना तक बढ़ गई है। ये आंकड़ें डराने वाले हैं। पुलिस प्रशासन की ओर से भी महिलाओं की सुरक्षा के जितने भी उपाय किए जा रहे हैं, उनका असर कागजों से सड़क पर नहीं उतर पा रहा है। गोरखपुर जिले में पुलिस के आंकड़े गवाह हैं कि यहां महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं। वर्ष 2011 में 22 महिलाओं की हत्या हुई और 46 के संग दुराचार हुआ। नौसढ़ कस्बे में नशे में धुत युवक ने 90 साल की वृद्धा के साथ बलात्कार करने में गुरेज नहीं किया। हरपुर बुदहट के रामनगर सूरस की मासूम को दो जनवरी की रात गांव का ही सुभाष प्रसाद (48) उठा ले गया व बलात्कार किया। वाराणसी जिले में महिलाओं ने अपनी सुरक्षा का भार खुद ही उठा रखा है। पुलिसिया आंकड़ों के मुताबिक तमाम प्रयासों के बावजूद महिलाओं के खिलाफ वारदात नहीं थम रही हैं।


'गूगल,फेसबुक की उम्र अब सिर्फ पांच साल'
क्या आपने गूगल या फेसबुक के बिना इंटरनेट की कल्पना की है? प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक पांच सालों में गूगल और फेसबुक पूरी तरह से गायब हो सकती हैं।  एरिक जैकसन ने अपने लेख में इसके कारण बताए हैं। 1. साल 2010 के बाद बनी सोशल कंपनियां दुनिया के बारे में बिलकुल अलग राय रखती हैं। ये कंपनियां, उदाहरण के तौर पर इंस्टाग्राम, इंटरनेट के बजाय मोबाइल प्लेटफार्म को अपने कंटेट के लिए प्राइमरी प्लेटफार्म मानती हैं। वेब पर लांच करने के बजाय ये नई कंपनियां यकीन रखती हैं कि उनकी मोबाइल एप्लीकेशन को लोग इंटरनेट के स्थान पर इस्तेमाल करना शुरु कर देंगे। इस अवधारणा के अनुसार हमें कभी भी वेब 3.0 नहीं मिलेगा क्योंकि तब तक इंटरनेट समाप्त हो चुका होगा। 2. वहीं वेब 1.0 (1994 से 2001 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें नेटस्केप, याहू, एओएल, गूगल, अमेजन और ईबे शामिल हैं) और वेब 2.0 कंपनियां (2002 से 2009 के बीच अस्तित्व में आई कंपनियां जिनमें फेसबुक, लिंक्डइन, ग्रुपऑन आदि शामिल हैं) अभी भी इस नए बदलाव के साथ खुद को बदलने को लेकर आश्वस्त नहीं है। फेसबुक सोशल मीडिया कंपनियों में सबसे आगे है और बहुत जल्द ही वो अपना आईपीओ लांच कर रही है। हो सकता है कि उसकी मौजूदा बाजार कीमत 140 बिलियन डॉलर के आंकड़े को भी पार कर जाए। लेकिन फिर भी यह मोबाइल प्लेटफॉर्म पर पिछड़ रही है। इसकी आईफोन और आईपैड एप्लीकेशन इसके डेस्कटॉप वर्जन की ही नकल हैं। 3. फेसबुक इंटरनेट के जरिए पैसा कमाने के तरीके निकालने की कोशिश कर रही है। साल 2011 में फेसबुक की कुल आय सिर्फ 3.7 बिलियन डॉलर ही थी। वहीं 2011 की अंतिम तिमाही के मुकाबले 2012 की पहली तिमाही में भी फेसबुक की आय में कमी आई है। और सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि फेसबुक के पास अपनी मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए पैसा कमाने का अभी कोई तरीका भी नहीं है।  4. वेब 1.0 कंपनियां सोशल मीडिया में नाकाम साबित हुई हैं। इससे मोबाइल प्लेटफार्म पर फेसबुक की सफलता को लेकर भी संदेह है। गूगल अपनी गूगल+ सेवा का हश्र देख ही चुकी है।  वहीं परिस्थितियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि मौजूदा आपरेटिंग वातावरण और कंपनियों के मूल उत्पादों में असंतुलन के कारण कंपनियों पर 'पिछड़ने का दायित्व' भी बढ़ रहा है। इस सिद्धांत से मौजूदा टेक्नोलॉजी दुनिया की दुर्दशा को समझा जा सकता है अब सवाल उठता है कि क्या फिर गूगल, फेसबुक, अमेजन और याहू जैसी कंपनियां बेमानी हो जाएंगी? हालांकि ये कंपनियां अभी भी लगातार बढ़ रही हैं और अभी भी इनमें बहुत प्रतिभाशाली लोग जुड़े हैं। लेकिन नए बदलावों (जैसे पहले सोशलअब मोबाइल और आने वाले वक्त में कुछ और) में पुरानी तकनीकें प्रचलन से बाहर हो जाती हैं।
  5. हम अभी जिस तकनीकी दुनिया में रह रहे हैं उसका लगातार विकास हो रहा है। याहू का बाजार 2000 के मुकाबले सिकुड़ रहा है। यह चर्चा जोरों पर है कि कैसे गूगल भी मुश्किल दौर से गुजर रही है। जब उसका डेस्कटाप सर्च व्यापार (गूगल की अधिकतर आय इसी से होती है) कम होने लगेगा तब उसके पास क्या विकल्प होंगे क्योंकि इंटरनेट यूजर ने मोबाइल पर अलग-अलग तरीकों से जानकारी खोजना शुरु कर दिया है। क्या अमेजन भी लगातार कमजोर होगी? इसमें कोई शक नहीं है कि अमेजन अभी भी लगातार बढ़ रही है लेकिन जब मोबाइल प्लेटफार्म पर लोगों के पास सामान खरीदने के अन्य सुविधाजनक विकल्प होंगे तब निश्चित ही अमेजन की चिंता बढ़ जाएगी। फेसबुक के सामने भी यही चुनौती होगी। हमशी मैकेंजी ने हाल ही में कहा है कि मुझे नहीं लगता कि फेसबुक मोबाइल प्लेटफार्म पर आने के लिए खुद में बदलाव करके न्यूजफीड, मैसेजिंग, फोटो, और एड्रस बुक के लिए अलग-अलग एप्लीकेशन लांच कर पाएगी क्योंकि ऐसा करके उसका मूल रूप पूरी तरह से बदल जाएगा। सवाल यह है कि फेसबुक किस गति से मोबाइल प्लेटफार्म पर चेंज करेगा? अनुमानों के मुताबिक उसकी गति भी ऐसे ही होगी जैसे गूगल की सोशल होने के दौरान थी। फेसबुक का सबसे बड़ा डर यही है कि कहीं मोबाइल के दौर में वो पिछड़ न जाए।  एप्पल के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है। एप्पल मूलरूप से हार्डवेयर कंपनी है लेकिन फिर भी वो मोबाइल बाजार में कामयाब रही  क्योंकि उसने अपना ऑपरेटिंग सिस्टम लांच कर दिया। शायद यही कारण है कि अन्य कंपनियां भी एप्पल का अनुसरण करने की सोच रही हैं। रिपोर्टों के मुताबिक फेसबुक और बायडू अपना मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लांच करने पर काम कर रही हैं।  अगले 5-8 सालों में इंटरनेट जगत में बहुत बदलाव होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि गूगल और फेसबुक अपने आज के आकार के मुकाबले सिमट जाएं या पूरी तरह से गायब ही हो जाएं। यूं तो इन कंपनियों के पास वेब से मोबाइल पर शिफ्ट होने के लिए तमाम पैसा और साधन होंगे लेकिन इतिहास के उदाहरण बताते हैं कि वो ऐसा कर नहीं पाएंगी। माना जाता है कि गूगल के कार्यकारी अध्यक्ष एरिक श्मिद्त भी भविष्य में सभी एंड्रायड उपभोक्ताओं से दस डॉलर प्रतिमाह वसूलने का विचार रखते हैं  ताकि भविष्य में कंपनी के आर्थिक फायदों को सुनिश्चित किया जा सके।  



'पाकिस्तान ने जताया भारत की जमीन पर अधिकार'
नई दिल्‍ली. भारत और पाकिस्‍तान के बीच सर क्रीक सीमा विवाद एक बार फिर गरमा सकता है। पाकिस्‍तान ने सर क्रीक के भूगोल में बदलाव का हवाला देते हुए भारत की सीमा में पड़ने वाले पीर सनाई क्रीक तक अपनी जमीन होने का दावा किया है। हालांकि भारत ने इसका विरोध किया है। अब 14 मई को दोनों देशों के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक में यह मुद्दा गरमागरम बहस का रूप ले सकता है।  बीते साल मई में दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर हुई आखिरी दौर की बातचीत के दौरान पाकिस्‍तान ने यह नया दावा किया। इस दावे के पक्ष में दलील दी गई कि 2007 में किए गए एक संयुक्‍त सर्वे में पता चला कि सर क्रीक करीब एक से डेढ़ किलोमीटर पूरब की ओर बढ़ गया है। सर्वे में यह भी पता चला कि पुराने नक्‍शे के मुताबिक जमीन का वह टुकड़ा जो सर क्रीक को पीर सनाई क्रीक से अलग करता है, वह धीरे-धीरे खत्‍म हो गया है। इस परिणाम हुआ कि सर क्रीक और पीर सनाई के मुहाने करीब-करीब जुड़ गए हैं। यह विवाद कच्छ के रण में 96 किलोमीटर लंबे मुहाने को लेकर है जो भारत के गुजरात को पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अलग करता है। सर क्रीक विवाद को लेकर 5 साल पहले हुई बातचीत में दोनों देशों के बीच विवाद के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई थी। गौरतलब है कि पिछले साल की बातचीत मुंबई हमले के बाद करीब दो सालों बाद फिर से शुरू हुई द्विपक्षीय बातचीत प्रक्रिया के तहत की गई। सर्वे के बाद यह पहली बातचीत थी।
 हालांकि भारत ने पाकिस्‍तान के दावे का तुरंत विरोध किया। भारत ने कहा कि पाकिस्‍तान के दावे से भारतीय नावों के लिए पीर सनाई क्रीक तक पहुंचने का रास्‍ता बंद हो जाएगा। यह इलाका भारत के लिए बेहद अहम है। नौसेना भी इस इलाके का बखूबी इस्‍तेमाल करती है।
 

Friday, May 4, 2012


सैमसंग गैलेक्सी एस 3 गेट अप सुनते ही अनलांक होगा फोन
नई दिल्ली. मोबाइल फोन के बाज़ार में नोकिया को हाल ही में पछाड़ने वाले सैमसंग ने लंदन में गुरुवार को स्मार्ट फोन गैलेक्सी एस 3 लॉन्च कर दिया। 
 गैलेक्सी एस 3 को लेकर इंटरनेट पर चर्चा का बाज़ार गर्म है। सैमसंग गैलेक्सी एस III जून के पहले हफ्ते में भारत में लॉन्च होगा। इसकी कीमत 38000 रुपये के करीब होगी। लेकिन यह स्मार्ट फोन 29 मई से ब्रिटेन और बाद में अमेरिका में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।   

 1280 x 720 पिक्सल रिजॉल्यूशन वाली 4.8 इंच एचडी सुपर अमोल्ड डिस्प्ले स्क्रीन। 
फ्लैश के साथ 8 मेगापिक्सल का रियर कैमरा, 1.9 मेगापिक्सल वाला फ्रंट कैमरा।   
-रियर कैमरा आईफोन 4एस और एचटीसी वन एक्स को टक्कर दे रहा है। गैलेक्सी एस 3 का कैमरा हंसी को समझ सकता है और चेहरे पहचान सकता है। 

-वजन महज 133 ग्राम और मोटाई सिर्फ 8.6 मिलीमीटर। 

-एंड्राएड 4.0 वर्जन। 

-क्वैड कोर माइक्रोप्रोसेसर। 

-1 जीबी रैम की मेमरी। 

-आईफोन के सिरी तकनीक की तर्ज पर एस वॉयस नाम के वॉयस कमांड की सुविधा।

-एस वॉयस के जरिए इस फोन को आप शब्दों के वास्तविक अर्थ के प्रति संवेदनशील बना सकते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप ने गैलेक्सी या गेट अप जैसा कोई शब्द सेट कर दिया तो इन शब्दों को सुनते ही फोन इनके वास्तविक अर्थ (जैसे गेट अप का मतलब उठ जाओ) को समझ लेगा और शब्द के मतलब से मिलता जुलता काम करने लगेगा। मिसाल के तौर पर 'गेट अप' जैसा शब्द सुनते ही फोन की स्क्रीन अनलॉक हो जाएगी। इस मामले में सुरक्षा भी चिंता की वजह नहीं है। फोन की खास बात यह है कि यह आपकी ही आवाज़ सुनकर काम करेगा, दूसरे की नहीं। 

-एक्जीनॉस 4 क्वॉड की वजह से कम समय में यह स्मार्टफोन एक साथ कई काम करता है। मिसाल के तौर पर यह फोन एक साथ वेब पर कनेक्ट करके वायरस स्कैन करते हुए वीडियो की स्ट्रीमिंग भी कर सकता है। वहीं, इसी दौरान अन्य कोर एप्लीकेशन अपडेट कर सकते हैं।   

-फोन का पिछला हिस्सा सेरेमिक या धातु की जगह प्लास्टिक से बना है। 

-एस बीम की सुविधा। इससे 1 जीबी की फाइल दूसरे एस 3 फोन में बिना इंटरनेट या वाई फाई के ट्रांसफर की जा सकती है। 

-आईफोन के काफी पसंद किए गए एप्लीकेशन फ्लिपबोर्ड का इस्तेमाल इस फोन में किया जा सकेगा।  

-गैलेक्सी एस 3 स्मार्टफोन के हर ग्राहक को 50 जीबी का क्लाउड स्टोरेज ड्रॉपबॉक्स दिया जा रहा है।

Saturday, April 28, 2012


4 साल की सजा और 1 लाख का जुर्माना लक्ष्मण को
नई दिल्‍ली.  तहलका कांड में दोषी करार दिए गए भाजपा के पूर्व अध्‍यक्ष बंगारू लक्ष्‍मण को आज सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 साल के सश्रम कारावास के साथ ही एक लाख रुपये के जुर्माना की सज़ा सुनाई है। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि समाज में 'सब चलता है' के रवैये के चलते भ्रष्टाचार फैलता जा रहा है। बंगारू लक्ष्मण के वकील ने अदालत के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि वे इसके खिलाफ अपील करेंगे।  इससे पहले सीबीआई ने अदालत से लक्ष्मण को पांच साल की सजा देने का आग्रह किया था। वहीं, लक्ष्‍मण ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्‍होंने पहली बार कोई अपराध किया है और उनकी दो बाईपास सर्जरी हो चुकी हैं। उनके स्‍वास्‍थ्‍य और उम्र को देखते हुए नरमी का रूख अपनाया जाए। लेकिन अदालत ने लगता है कि उनकी यह दलील नहीं मानी है। अदालत ने शुक्रवार को दोषी ठहराया था। 11 साल पुराने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष पर आरोप था कि उन्‍होंने एक फर्जी रक्षा सौदे में हथियारों के नकली सौदागरों से रिश्‍वत ली। चार अप्रैल को एडीशनल सेशन जज कंवलजीत अरोड़ा ने सीबीआई के वकीलों और अभियुक्‍त पक्ष की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। सीबीआई के अनुसार बंगारू 2001 में एक न्‍यूज पोर्टल तहलका के स्टिंग 'ऑपरेशन वेस्टएंड' में कैमरे में रिश्‍वत लेते हुए पकड़े गए। इसमें पत्रकारों ने ब्रिटेन की एक हथियार कंपनी के एजेंट बन कर उनसे मुलाकात की और भारतीय सेना के लिए थर्मल इमेजर्स की खरीद के बदले रिश्‍वत देने की पेशकश की। इन वीडियो सीडी को 13 मार्च 2001 में जारी किया गया था। 
 स्टिंग ऑपरेशन की मदद से पत्रकारिता को नया आयाम देने वाले इस मामले के सामने आने के बाद बंगारू लक्ष्‍मण को तत्‍कालीन सत्‍तारूढ़ पार्टी भाजपा के अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था। हालांकि, लक्ष्मण आज भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।