Sunday, March 24, 2013

दिल्ली तेरे रूप अनेक ,

देश की राजधानी दि‍ल्‍ली में बीते समय में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं आमतौर पर यह कहा जाता है कि यह शहर कई बार उजड़ा और कई बार बसाया गया इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि‍ अलग-अलग सल्‍तनतों के दौरा न‍दि‍ल्‍ली के सात शहर अलग-अलग नाम से बसाए गए। दि‍ल्‍ली के सात शहरों का यह तथ्‍य अब पुराना हो चला है। अगर कोई बारीकी से दि‍ल्‍ली के स्‍वरूप को देखे तो दि‍ल्‍ली में15 शहरों की गि‍नती कर सकता है। दि‍ल्‍ली में आकर आक्रमण करने वाले शासक जीत हासि‍ल कर इसे राजधानी बनाकर शासन चलाया करते थे। इस तरह दि‍ल्‍ली को राजधानी बनाने का उनका सपना साकार होता था। दूर-दूर के देशों से और दूर-दराज के देशों से कई शासक आए और यहां आकर बस गए। उन्‍होंने इस ऐति‍हासि‍क शहर को राजधानी बनाने का ऐलान कि‍या। इसका एक मात्र अपवाद 14वीं के बादशाह मो. तुगलक थे जो अपनी राजधानी पुणे के नि‍कट दि‍ल्‍ली से 700 कि‍लोमीटर दूर दौलताबाद में ले गए। बाद में उन्‍हें इसका पछतावा हुआ। वर्तमान दि‍ल्‍ली महानगर में पुरातन काल के शहर, उनके अवशेष,लुटि‍यन दि‍ल्‍ली और आजादी के बाद की एक प्रकार की वि‍शेषता की कॉलोनि‍यों से अलग-अलग शामि‍ल हैं। दि‍ल्‍ली अलग-अलग शहरों का मि‍श्रण होते हुए अपनी मि‍लीजुली तहजीब, अनुठे बुनि‍यादी ढांचे, रोजगार के अवसर और अपने ऐति‍हासि‍क और पर्यटन महत्‍व के स्‍मारकों और तेजी से बदलती तस्‍वीर और छवि ‍की वजह से अब भी सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह महूसूस कि‍या जाता है कि‍दि‍ल्‍ली में अलग-अलग आकार और स्‍वरूप के अलग-अलग15 शहर पुरातन, ऐति‍हासि‍क और तेजी से आधुनि‍क बन रहे शहर दि‍ल्‍ली के अभि‍न्‍न अंग बने हुए हैं।
दि‍ल्‍ली के पहले पुरातन राजसी शहर को धार्मिक ग्रंथ महाभारत में इंद्रप्रस्‍थ के नाम से बताया गया है। इस ग्रंथ में पांडवों द्वारा मांगे गए तब के पांच गांवों- पानी‍पत,सोनीपत, ति‍लपत,मारीपत, बागपत और यमुना नदी के तट पर बसे पहले दि‍ल्‍ली इन्द्रप्रस्‍थ से कुछ दूर कुरूक्षेत्र का भी उल्‍लेख है। हजारों वर्ष पहले कौरवों ने इस शहर को बनाया लेकि‍न अब इसके अवशेष दि‍खाई नहीं देते। इसके बाद के बसे पहले के सभी शहर राजा महाराजाओं की पसंद और डि‍जाइन के अनुरूप बनाए गए कि‍ले के आसपास बसे थे। वर्तमान दि‍ल्‍ली के दक्षि‍ण में पहला शहर लालकोट बना। इसे तोमर नरेश अंग पाल ने वि‍कसि‍त कि‍या। इस शहर को दि‍ल्‍ली का पहला लालकि‍ला भी कहा जाता है। माना जाता है की लालकोट का र्नि‍माण1050 में कि‍या गया। इस कि‍ले के कई द्वार थे जि‍नमें से गजनी गेट, सोहन गेट, रंजीत गेट शामि‍ल थे। दि‍ल्‍ली का तीसरा शहर भी दक्षि‍ण में था जि‍से कि‍ला राय पि‍थौरा कहा गया। महरौली के नि‍कट लालकोट और कि‍ला राय पि‍थौरा आज भी अपने वैभव का सबूत दे रहे हैं। दि‍ल्‍ली में बलशाली चौहान राजपूतों के प्रवेश के समय पृथ्‍वी राज चौहान ने राजकोट पर नि‍यंत्रण कि‍या और इसका वि‍स्‍तार कि‍या। उन्‍हीं के नाम पर 12वी शताब्‍दी का यह शहर भी बसा। इसके भी 13 दरवाजे थे। समझा जाता है कि‍का अंक राजा के लि‍ए अशुभ साबि‍त हुआ और उसका राज्‍य बि‍खर गया।
चौथा शहर भी दक्षि‍ण में बसा। अलाउद्दीन खि‍लजी ने 1303 में मंगोलो से अपने राज्‍य की रक्षा के लि‍ए सि‍री कि‍ले का नि‍र्माण कराया। कहा जाता है कि‍इस शहर को मुस्‍लि‍म समुदाय ने बनाया और इसकी कल्‍पना की। शाहपुरजठ गांव के आसपास इस शहर के अवशेष अब भी मि‍लते हैं। पांचवा शहर भी दक्षि‍ण में बसाया गया लेकि‍न यह पहले के शहरों से दक्षि‍ण में कुछ दूरी में था। तुगलकाबाद कि‍ला बदरपुर और तुगलकाबाद शूटि‍ग रेंज के पास है। इसका नि‍र्माण1320 के आसपास ग्‍यासुद्दीन तुगलक के शासनकाल के दौरान कि‍या गया। दि‍ल्‍ली का छठा शहर जहापनाह चि‍राग गांव के नि‍कट था। जहापनाह के नाम पर इस गांव के आसपास एक वन वि‍कसि‍त कि‍या गया। मोहम्‍मद बि‍न तुगलक ने इस शहर पर 1325 से 1351 तक शासन कि‍या। मगर सातंवा शहर मध्‍य दि‍ल्‍ली में था। इस शहर को आज की पीढ़ी फि‍रोजशाह कोटला के नाम से जानती है। यह स्‍थान फि‍रोजशाह कोटला क्रिकेट मैदान से भी मशहूर है। फि‍रोजशाह तुगलक ने इस कि‍ले का नि‍र्माण कि‍या और यहां से 1351 से1388 तक चलाया। दि‍ल्‍ली के आठवें और नौवें शहर मथुरा रोड,चि‍ड़ि‍याघर और काका नगर के आसपास ऐति‍हासि‍क घटनाओं के साक्षी बने थे। शेरगढ़ यानी पुराना कि‍ला शहर हुमायू का दीनपनाह मथुरा रोड पर आमने सामने वि‍कसि‍त हुए। शेरशाह सूरी ने आठवें शहर शेरगढ़ को बसाया। शेरशह सूरी को वर्तमान जीटी रोड का नि‍र्माता बताया जाता है। नौवा शहर दीनपनाह हुमायू ने बनवाया।
दसवां शहर शाहजहानबाद बहुत प्रसि‍द्ध है क्‍योंकि‍इसके पुराने गौरव को लौटाने की चर्चा अकसर की जाती है। आजादी से पहले अंग्रेजों ने नई दि‍ल्‍ली बसाई। लुटि‍यन मशहूर वास्‍तुकार लुटि‍यन ने इसकी कल्‍पना की और इसका निर्माण1911 से 1947 के बीच कि‍या गया। देश्‍के वि‍भाजन के बाद पाकि‍स्‍तान से आए लाखों शरर्णाथियों को बसाने के लि‍ए12वीं दि‍ल्‍ली बसाई गई। कुछ शरर्णाथियों के कुछ अस्‍थायी आश्रय अब महल जैसे घर लगते हैं। डीडीए ने 13वीं दि‍ल्‍ली वि‍कसि‍त की। इसके अंतर्गत कई कॉलोनि‍यां और द्वारि‍का,रोहि‍णी और नरेला से उपनगर बसाएं।14वीं दि‍ल्‍ली में अनधि‍कृत कॉलोनि‍यां और स्‍लम बस्‍ति‍यों का समूह शामि‍ल है। 15वीं दि‍ल्‍ली सहकारी आवास सोसाइटि‍यों की दि‍ल्‍ली है जि‍समें आसमान की और नि‍गाह ताने बहुमंजि‍ले आवास बने हैं। दि‍ल्‍ली में 16वां शहर बसाने के लि‍ए अब जगह नहीं रही। अगर कहीं 16वीं दि‍ल्‍ली बनी तो वह आसमान में लटकती हुई दि‍ल्‍ली होगी।

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