'बिक्रम
सिंह को दुनिया की दूसरी बडी थल सेना की कमान'
नई
दिल्ली। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थल सेना का नेतृत्व करने वाले भारत को गुरुवार
को नया सेनाध्यक्ष मिल गया। गुरुवार को जनरल बिक्रम सिंह ने पदभार संभाल लिया। 26 माह के कार्यकाल के बाद जनरल वीके सिंह आज रिटायर हो गए। जनरल वीके सिंह
लेफ्टिनेंट जनरल को बेटन सौंपी।
सेना के 25 वें मुखिया के तौर पर पद संभालने वाले बिक्रम सिंह
पूर्वी कमान से संबंध रखते हैं। गुरुवार दोपहर रक्षा मंत्रालय में सेनाध्यक्ष के
कमरे में जनरल वीके सिंह अपने उत्तराधिकारी को सेना की कमान सौंपी
बेबाक अधिकारी की छवि रखने वाले वीके सिंह का कार्यकाल जहां विवादों
से घिरा रहा वहीं, नए सेनाध्यक्ष बिक्रम सिंह भी ऐसे वक्त पद संभाल
रहें हैं जब उनकी नियुक्ति के खिलाफ अदालत में सवाल उठाए जा रहे हैं। बिक्रम सिंह
की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने खारिज
कर दी थी। लेकिन उस फैसले के खिलाफ नई पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी गई है और
सुप्रीम कोर्ट को अभी उस पर विचार करना है।
पुनर्विचार याचिका पूर्व नौसेनाध्यक्ष एल रामदास और पूर्व मुख्य
चुनाव आयुक्त एन. गोपालस्वामी ने दाखिल की है। इससे पहले फर्जी मुठभेड़ के एक मामले
में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने भी बिक्रम सिंह को बरी कर दिया था।
बिक्रम सिंह पूर्वी कमान से सेनाध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले पांचवें
अधिकारी हैं। वीके सिंह भी पूर्वी कमान के ही कमांडर थे। सरकारी पत्रिका सैनिक
समाचार को दिए साक्षात्कार में बिक्रम सिंह ने कहा है कि फौज को किसी भी चुनौती के
लिए तैयार करना उनकी प्राथमिकता है। साथ ही तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने पर
भी उनका जोर होगा। वह अधिकारी और अपने मित्रों के बीच बिक्की के नाम से मशहूर हैं।
जनरल
बिक्रम सिंह ने आतंकवाद निरोधक अभियान वाले क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण पदों पर
कार्य किया। इसमें श्रीनगर स्थित 15 कोर के कोर
कमाडर और अखनूर स्थित 10 वीं डिविजन का मेजर जनरल पद शामिल
है। उन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी से निकलने के बाद सिख लाइट इंफेंट्री
रेजीमेंट में 31 मार्च 1972 को कमीशन
प्राप्त किया।
आईएमए में उन्हें रणनीति एवं नेतृत्व के लिए जम्मू कश्मीर राइफल्स
स्वर्ण पदक एवं श्रीगणेश ट्राफी प्रदान की गई। इंफेंट्री स्कूल में युवा अधिकारी
के रूप में प्रशिक्षण के दौरान उन्हें कमाडो डैगर और बेस्ट इन टैकटिक्स ट्राफी भी
प्रदान की गई।
अपनी 40 बरस की सैन्य सेवा में सिंह उत्तरी कमान में कोर कमांडर
और संयुक्त राष्ट्र मिशन में भी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उन्हें परम
विशिष्ट सेवा, उत्तम युद्ध सेवा, अतिविशिष्ट
सेवा और सेना मैडल जैसे अलंकरणों से नवाजा जा चुका है।
जनरल बिक्रम सिंह ने बेलगाम स्थित इंफ्रेंट्री स्कूल के कमाडो विंग
के प्रशिक्षक के रूप में भी कार्य किया। जनरल बिक्रम सिंह करगिल युद्ध के दौरान सेना का चेहरा थे क्योंकि उस
समय वह सैन्य अभियान निदेशालय में कार्यरत थे तथा वह भारतीय क्षेत्र से दुश्मन के
सैनिकों को खदेड़ने के लिए सेना के अभियान की प्रगति के बारे में मीडिया को नियमित
जानकारी मुहैया कराते थे। ब्रिगेडियर के रूप में बिक्रम सिंह ने पेनसिलवानिया स्थित यूनाटेड
स्टेट आर्मी वार कालेज में भाग लेने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के दो अभियानों में
भी कार्य किया। इसमें मध्य अमेरिका में डिप्टी फोर्स कमाडर और कागो में पूर्वी
डिविजन के जीओसी के रूप में उनका कार्य शामिल है।
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