Wednesday, October 17, 2012

बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के हित हैं की कीमत किसान चुका रहे हैं; अरविंद केजरीवाल


अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर खुलासा करते हुए बुधवार को सवाल उठाए हैं कि वो किसके हक में काम कर रहे हैं। वो किसके इंट्रेस्ट को रिप्रेजेंट करते हैं? महाराष्ट्र में 71 हजार करोड़ का सिचाई घोटाला सामने आया है। कांग्रेस-एनसीपी की मिलीजुली सरकार के दौरान बीजेपी ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया। बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी मदद नहीं की।जिस वक्त अरविंद केजरीवाल गडकरी के बारे में खुलासा कर रहे थे तो उसी वक्त गडकरी के घर पर बीजेपी के बड़े नेता सुषमा स्वराज, विजय गोएल, बलबीर पुंज और प्रकाश जावड़ेकर मौजूद थे।
 गडकरी ने अंजली दमानिया को कहा कि शरद पवार से उनके अच्छे रिश्ते हैं। चार काम वो करते हैं तो चार काम वो उनका करते हैं।हालांकि बाद में मीडिया में गडकरी ने इससे इंकार किया था। मुंबई में आईएसी की सदस्य अंजली दमानिया और प्रीति ने सिंचाई घोटाले की जांच की। एक महीने की जांच में चौंकानेवाले तथ्य सामने आए हैं। अरविंद ने सवाल उठाया कि विदर्भ में किसान खुदकुशी क्यों कर रहे हैं? जब आईएसी की सदस्य एक महीने में जांच कर तथ्य सामने ला सकती हैं तो सरकारें क्या कर रहीं हैं? जांच एजेंसियां क्या कर रही हैं?अन्ना आंदोलन के दौरान अंजली दमानिया ने आरटीआई दाखिल की जिसके बाद उनको सबूत मिले की 70 हजार करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी किसानों को फायदा नहीं क्यों नहीं मिले? अरविंद ने खुलासा किया कि नागपुर के खुर्सापुर गांव में डैम बनाने के लिए जमीन अधिग्रहित की गई। इलाके के किसान गजानन रामभावजी घडगे की जमीन अधिग्रहित की गई। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जितनी जमीन चाहिए थी उससे ज्यादा जमीन अधिग्रहित की गई।लेकिन डैम बनाने के बाद भी जमीन खाली पड़ी थी जिसपर सिंचाई विभाग के आदेश से गजानन उसपर खेती कर रहे थे, इसके लिए उन्होंने सिंचाई विभाग से आज्ञा ले रखी थी। बांध बन गया। 100 एकड़ जमीन खाली पडी थी। सिंचाई विभाग के इंजीनियर ने 18 एकड़ जमीन पर खेती की प्रमीशन दी। इसके बाद साल 2000 में किसानों ने सूबे के शासन को चिट्ठी लिखी और मांग की कि फालतु खाली पड़ी जमीन पर वो खेती करना चाहते हैं। वो जमीन उनको लीज पर या बेच दी जाए। लेकिन सिंचाई विभाग का जवाब आया कि जमीन पर सिंचाई बंद कर दी जाए। इस खाली पड़ी जमीन पर सौंदर्यीकरण का काम करना है।4 जून 2005 को बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अजित पवार को चिट्ठी लिखी की उनको 100 एकड़ जमीन चाहिए। अजित पवार ने चार दिन यानि 8 जून को वीआईडीसी को कहा कि गडकरी के प्रस्ताव को 22 जून की बैठक में पेश किया जाए। इस बैठक में नितिन गडकरी की मांग को मंजूरी दे दी गई। हालांकि इसका सिंचाई विभाग ने विरोध किया कि कानून के तहत ऐसा करना संभव नहीं है।28 नवंबर 2007 को एक और मीटिंग हुई और 100 एकड़ जमीन गड़करी को दे दी गई। 6 जून 2008 को घडगे ने लोकल एमएलए को लिखा कि ज्यादा अधिग्रहण होने पर बची हुई जमीन किसानों को वापस होनी चाहिए ऐसा कानून है। ये हमें वापस मिलनी चाहिए।21 जून 2008 को घड़गे को बुलाया गया ,वहां गड़करी की कंपनी के कुछ अधिकारी थे, घड़गे को कहा गया कि ये जमीन अब गड़करी की कंपनी को दे दी गई है। इसे आपको छोड़ना होगा। 28 जून 2008 को जब वो लौटा तो गड़करी की कंपनी के एमडी ने कहा कि जो कर सकते हो कर लो, अब ये जमीन हमारी है।उसी गांव में पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया 19 अगस्त 2007 को प्रस्ताव पारित किया कि गड़करी की कंपनी का जो पावर प्लांट है, उसका गंध पीने के पानी में मिलता है। इसे बंद किया जाए।अरविंद ने खुलासा करते हुए कहा कि नितिन गडकरी का बड़ा एंपायर है। उनका इसमें व्यासायिक इंट्रेस्ट हैं। क्या वो महाराष्ट्र के विदर्भा के किसानों के विरोध में है? क्या महाराष्ट्र के अंदर व्यवसाय किसानों की खुदकुशी पर हो रहा है? केजरीवाल ने कहा कि वो एक प्रश्न देश के सामने रखना चाहते हैं कि क्या बीजेपी देश की विपक्षी पार्टी है या बीजेपी सत्ताधारी पार्टियों से मिली हुई है। सवाल उठाते हुए अरविंद ने खुलासा किया कि गडकरी साहब का इंटरेस्ट क्या है। उनके बिजनेस हित क्या महाराष्ट्र के किसानों के हितों से टकरा रहे हैं? महाराष्ट्र के अंदर जो गड़करी के हित हैं उनकी कीमत किसान चुका रहे हैं?


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