किसान गन्ना क्षेत्र में रंगराजन कमेटी की ओर से की गई सिफारिशों का विरोध कर रहे
हैं। घेराव का आयोजन करने वाले संगठन के मुताबिक उनकी ओर से इसे लेकर प्रधानमंत्री
को एक चिट्ठी भी लिखी गई थी जिसमें सरकार को विचार करने के लिए 30 नवंबर तक का
अल्टीमेटम दिया गया था। उस दौरान 2 नवंबर को की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीके
सिंह ने किसानों का समर्थन किया था और उत्तर प्रदेश सरकार से गन्ने का लाभकारी मूल्य जल्द से जल्द घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार ने गन्ने का लाभकारी दाम शीघ्र घोषित नहीं किया तो यहां के किसान भी महाराष्ट्र की राह पर चल पड़ेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी। उन्होंने कहा कि यहां का किसान सरकार की तरफ आशा भरी निगांहोंं से देख रहा है। राज्य सरकार को भी किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। गौरतलब है कि हाल में महाराष्ट्र में गन्ने का दाम बढाने की मांग को लेकर आन्दोलन कर रहे किसानों पर पुलिस फायङ्क्षरग में एक किसान की मौत हो गयी थी और कई अन्य घायल हो गये थे। उन्होंने कहा कि किसानों का गन्ना खेत में खडा है और अधिकांश चीनी मिलें अभी गन्ने की खरीद ही नहीं शुरु कर सकी हैं। उन्होंने कहा कि अधिक समय तक गन्ने के खेत में खडा रहने से उससे चीनी की रिकवरी कम हो जाती है इसलिए इसकी तुरन्त खरीद शुरु करायी जाय.
सांसद जयाप्रदा ने कहा कि वह गन्ना किसानों की समस्याएं गांव से लेकर संसद तक उठायेंगी। वह बिलासपुर और मिलक क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर रही थी। गन्ने की वाजिब कीमतों की मांग कर रहे आंदोलनरत किसानों ने अब राज्य सरकार के साथ ही कृषि मंत्री शरद पवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।उन्होंने पवार के उस बयान की तीखी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने आंदोलन को जातिवादी करार दिया था। शेतकरी संगठन के तीन प्रमुख धड़ों ने पवार के इस रवैए की आलोचना करते हुए आंदोलन को और तेज करने का एलान किया .सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में सहकारी चीनी मिलों के इस मौसम में गन्ना खरीदने पर प्रति टन 3000 रुपए अग्रिम देने से इनकार करने पर किसान पिछले कई दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। मिलें प्रति टन 2300 रुपए देने को तैयार हैं। जबकि किसान गन्ने की फसल के लिए अग्रिम भुगतान किए जाने की मांग कर रहे हैं। जबकि खाद, बिजली और पानी की बढ़ी कीमतों के मद्देनजर गन्ना उत्पादन लागत बढ़ गयी है इसलिए महाराष्ट्र सरकार शीघ्र ही गन्ने का लाभकारी मूल्य घोषित करे और आन्दोलन में मारे गये किसानों के परिजनों को दस-दस लाख तथा घायलों को दो-दो लाख रूपये मुआवजा दिया जाये। उन्होंने कहा कि रालोद महाराष्ट्र के किसानों के साथ है।
सांसद जयाप्रदा ने कहा कि वह गन्ना किसानों की समस्याएं गांव से लेकर संसद तक उठायेंगी। वह बिलासपुर और मिलक क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर रही थी। गन्ने की वाजिब कीमतों की मांग कर रहे आंदोलनरत किसानों ने अब राज्य सरकार के साथ ही कृषि मंत्री शरद पवार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।उन्होंने पवार के उस बयान की तीखी आलोचना की है, जिसमें उन्होंने आंदोलन को जातिवादी करार दिया था। शेतकरी संगठन के तीन प्रमुख धड़ों ने पवार के इस रवैए की आलोचना करते हुए आंदोलन को और तेज करने का एलान किया .सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में सहकारी चीनी मिलों के इस मौसम में गन्ना खरीदने पर प्रति टन 3000 रुपए अग्रिम देने से इनकार करने पर किसान पिछले कई दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। मिलें प्रति टन 2300 रुपए देने को तैयार हैं। जबकि किसान गन्ने की फसल के लिए अग्रिम भुगतान किए जाने की मांग कर रहे हैं। जबकि खाद, बिजली और पानी की बढ़ी कीमतों के मद्देनजर गन्ना उत्पादन लागत बढ़ गयी है इसलिए महाराष्ट्र सरकार शीघ्र ही गन्ने का लाभकारी मूल्य घोषित करे और आन्दोलन में मारे गये किसानों के परिजनों को दस-दस लाख तथा घायलों को दो-दो लाख रूपये मुआवजा दिया जाये। उन्होंने कहा कि रालोद महाराष्ट्र के किसानों के साथ है।
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