Monday, November 5, 2012

ताज कॉरिडोर मामले में मायावती सभी जनहित याचिकाएं खारिज


 करोड़ों रुपए के ताज कॉरिडोर कथित घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को बड़ी राहत दी , उनके खिलाफ दायर सभी जनहित याचिकाएं खारिज कर दीं। मायावती पर इस मामले में अब कोई मुकदमा नहीं चलेगा। मायावती के वकील एवं बसपा महासिचव सतीश चंद्र मिश्र ने संवाददाताओं को बताया, "उच्च न्यायालय ने ताज कॉरिडोर मामले में दायर उन सभी सात जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें मायावती और बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।"उधर, याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वह लखनऊ खंडपीठ के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।
मिश्र ने कहा कि हमने अदालत को बताया कि ये याचिकाएं राजनीतिक कारण से मायावती की छवि खराब करने के लिए दायर की गई थीं। न्यायालय ने पाया कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इस आधार पर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भी मायावती के खिलाफ कोई गलती नहीं निकाल पाई थी। सीबीआई ने भी रिपोर्ट में कहा था कि अधिकारियों ने गलितयां की थीं।मिश्र के अनुसार, उच्च न्यायालय को बताया गया कि मायावती के सामने ताज कॉरिडोर की फाइल कभी नहीं रखी गई। ताज कॉरिडोर में सिर्फ सड़क बनाने की योजना थी, इमारत बनाने की नहीं।

उन्होंने कहा कि मिशन मैनेजमेंट बोर्ड ने बीजेपी की सरकार में ताज कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उस वक्त प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लिहाजा इस मामले में यदि कोई आरोपी बनता है तो वह उस वक्त के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसमें मायावती के खिलाफ मामला चलाए जाने की पहले से ही कोई संभावना नहीं थी।

गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने मायावती तथा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण अभियोजन की कार्यवाही समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ वर्ष 2009 में छह जनहित याचिकाएं दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी। इन सभी छह याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद आज इस मामले में मायावती को बड़ी राहत दी गई।इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अनी कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार 11 सितंबर को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बहस की थी वहीं, मायावती तथा अन्य पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र अधिवक्ताओं की टीम के साथ पेश हुए।

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